The Ultimate Guide To Shodashi

Wiki Article



कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।

साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

During the context of power, Tripura Sundari's attractiveness is intertwined with her toughness. She's not simply the image of aesthetic perfection but also of sovereignty and overcome evil.

वर्गानुक्रमयोगेन यस्याख्योमाष्टकं स्थितम् ।

It is an experience with the universe within the unity of consciousness. Even in our normal point out of consciousness, Tripurasundari could be the elegance that we see on this planet all around us. No matter what we perceive externally as attractive resonates deep inside.

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का Shodashi प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

The noose symbolizes attachments, Whilst the goad represents contempt, the sugarcane bow shows desires, as well as the flowery arrows signify the five sense organs.

Lalita Jayanti, a major Competition in her honor, is celebrated on Magha Purnima with rituals and communal worship situations like darshans and jagratas.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥

Report this wiki page